हलासन सही तरीके से किया जाए तो सेहत के लिहाज से यह बहुत ही फायदेमंद साबित होता है। इस आसन से मोटापा कम करते हुए थायराॅइड, मधुमेह आदि के लिए बहुत ही लाभकारी सिद्ध होता है। हलासन की अन्तिम मुद्रा में शरीर भारतीय हल के समान दिखता है।
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Halasan Yoga |
हलासन योगाभ्यास के विधि-
हलासन को करने के लिए पीठ के बल लेट जाएं और अपने हाथों को जांघों के पास टिका लें और उसके बाद अपने पांवों को मोडते हुए धीरे-धीरे पहले 30 डिग्री पर फिर 60 डिग्री पर और उसके बाद 90 डिग्री पर उठाएं, उसके बाद अपने सांस को छोड़ते हुए पैरों को पीठ उठाते हुए सिर के पीछे ले जाएं और पैरों की अंगुलियों को जमीन से छूने का प्रयास करें।
मुद्रा का रूप ले चुका हलासन योग को धीरे-धीरे सांस लेते हुए अपने सांस को धीरे-धीरे छोडे़, जहाॅ तक सम्भव हो सके तो इस हलासन को रोककर रखें।
फिर धीरे-धीरे मूल अवस्था में आ जाएं, यह एक चक्र हुआ। इस तरह से आप 4 से 5 चक्र कर सकते है।
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Halasan Yoga
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हलासन से होने वाले लाभ-
हलासन को नियमित अभ्यास करने से पेट की चर्बी कम होता है और वजन भी कम होता है।
इस आसन से सिर के क्षेत्र में खून का बहाव ज्यादा होने लगता है और साथ ही साथ बालों को सही मात्रा में खनिज तत्व मिलने लगता है, जो बालों की सेहत के लिए अच्छा होता है।
इस आसन को रोजाना करने से चेहरे पर निखार भी आने लगता है।
यह आसन कब्ज, अपच और मधुमेह के लिए लाभकारी होता है, जो लोग बवासीर से ग्रसित है उन्हें इस आसन को करनी चाहिए।
जिन्हें गले की बीमारी है या सिर दर्द की शिकायत हो तो उन्हें इस आसन को करनी चाहिए।
हलासन से बरतनें वाली सावधानियाॅ-
जिनको सर्वाइकल स्पाॅण्डिलाइटिस हो उन्हें इस आसन को नही करनी चाहिए।
रीढ़ में अकड़न होने पर, उच्च उक्तचाप में, कमर में दर्द होने पर या चक्कर आने पर इस आसन को कतई नही करनी चाहिए।
गर्भावस्था होने पर और हृदय रोगी व्यक्ति को इस आसन को नही करना चाहिए।
हलासन के सबसे अधिक लाभ तब होता हैं, जब हलासन के तुरन्त बाद भुजंगासन किया जाए।
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